الحديث |
المعصوم (ع) |
الجزء |
الصفحة |
قوموا فاكبوا |
الامام الحسين |
٢ |
٨٠ |
قيمة كل امرىء ما يحسن |
امير المؤمنين |
١ |
٣٠٠ |
(ك)
كان علي بن الحسين يصلي في اليوم والليلة |
ابو جعفر |
٢ |
١٤٣ |
كان من موت معاوية ما قد بلغك فكتب الي اهل |
الامام الحسين |
٢ |
٧٢ |
كانت السماء رتقا لا تنزل القطر وكانت |
الامام الباقر |
٢ |
١٦٥ |
كانما القوم باتوا غافلين |
امير المؤمنين |
١ |
٢٣٧ |
كاني انظر الى وميض خاتمه في شماله |
امير المؤمنين |
١ |
٧٤ |
كاني بالقائم على نجف الكوفة قد سار اليها |
الامام الباقر |
٢ |
٣٧٩ |
كاني برايات من مصر مقبلات خضر مصبغات |
ابو الحسن |
٢ |
٣٧٦ |
كتب الي اهل مصر كم هذا ان اقدم فاما اذ |
الامام الحسين |
٢ |
٨٥ |
كذبا لعنهما الله والله ما راه عبدالله |
الامام الصادق |
٢ |
١٨٧ |
كرهت ان يراه الله يوحده ويمجده فيحلم |
الامام الصادق |
٢ |
١٨٤ |
كفروا يا رسول الله وولوا الدبر من العدو |
امير المؤمنين |
١ |
٨٤ |
كل قول ليس لله في ذكر فلغو وكل صمت ليس |
امير المؤمنين |
١ |
٢٩٧ |
كلامك هذا من كلام رسول الله او من عندك |
الامام الصادق |
٢ |
١٩٤ |
كم غرمت في زرعك هذا |
الامام الكاظم |
٢ |
٢٣٣ |
الكوفة |
الامام الحسين |
٢ |
٧٦ |
كيف بكم اذا كنتم صرعى وقبوركم شتى |
رسول الله |
٢ |
١٣١ |
كيف تجلد بحساب الرق وقد عتق منها ثلاثة |
امير المؤمنين |
١ |
٢١٢ |
كيف رايتم اميركم |
رسول الله |
١ |
١١٦ |
كيف يكون يا ويلك عنا غائبا من هو مع خلقه |
الامام الصادق |
٢ |
٢٠١ |
(ل)
|
الامام الصادق |
٢ |
١٨٧ |