غنچه پيكان به گل او نهفت |
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صد گل محنت ز گل او شكفت |
روى عبادت سوى محراب كرد |
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پشت بدرد سر اصحاب كرد |
خنجر الماس چو بنداختند |
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چاك بتن چون گلشن انداختند |
غرقه به خون غنچه زنگارگون |
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آمد از آن گلشن احسان برون |
گل گل خونش بمصلّى چكيد |
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گشت چو فارغ ز نماز آن بديد |
اين همه گل چيست ته پاى من |
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ساخته گلزار مصلّاى من |
صورت حالش چو نمودند باز |
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گفت كه سوگند به داناى راز |
كز الم تيغ ندارم خبر |
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گرچه ز من نيست خبردارتر |
طاير من سدره نشين شد چه باك |
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گر شودم تن چو قفس چاك چاك |
جامى از آلايش تن پاك شو |
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در قدم پاك روان خاك شو |
شايد از آن خاك به گردى رسى |
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گرد شكافى وبمردى رسى |
قوله : فحمل خالد بن الوليد باصحابه ، ٣٨٢ / ١٣
وفي (م ص) : واصحابه.
قوله : فتفل في عينه ، ٣٨٣ / ٧.
كما في (ش م ز د) وفي (ق ص) : في عينيه.
قوله : وقال لن نغلب اليوم من قلة ، ٣٨٣ / ١٣
كما في اوّل باب غزاة حنين من سادس البحار ط ١ : ان بعضهم حين رأى المسلمين لن نغلب اليوم من قلة. وكذا في (م ص ق ز د) وفي (ش) وحدها : لن نغلب القوم من قلة.
قوله : وكانت الفضيلة في ذلك باجمعه ، ٣٨٣ / ١٩
كما في (م) والنسخ الاخرى كلها : وكانت الفضيلة باجمعها في ذلك.
قوله : ولانه أعلم الخ. ٣٨٣ / ٢١
المتن مطابق للنسخ كلها إلا أن العبارة في (م) جاءت : «وشدّة ملازمته للنبى» مكان «شدّة