مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
ما راعني إلا حمولة |
الخمخم |
١٦٨٠ |
فقضُّوا منايا |
متوخِّمِ |
٧٠٥٠ ، ٧١٠٣ |
وتشرق بالقول |
الدمِ |
٨٥٩ ، ٣١١٤ ، ٦٠٩٨ |
ويشرق بالقول |
الدم |
٤٧٨١ |
ونحن بَنَيْنا |
هادمُ |
٢٩٠٠ ، ٥٤٢٣ |
ظلت صوافنُ |
محتدمِ |
٦٢٣٤ |
وإدلاجُ ليلٍ |
محتدم |
١٣٦٩ |
إن تسأليني |
صَلَخْدَم |
٣٨٠٥ |
فغادرت شيئاً |
مُرْدِمُ |
٤٣١٦ |
عهدي بقيسٍ |
قدمْ |
٧٢٠٩ |
قد لفها الليل |
القدم |
١٨٥٨ |
ولقد شفى |
أقدم |
٤٧٨٨ |
فما نفع المتسأخرين |
التقدّمُ |
٦٧٤٩ |
يُذَكِّرُني حم |
التَّقدُّمِ |
٣٧٧ |
ولكن بكت |
للمتقدم |
٧٠٢٧ |
سعى ساعياً غيظ |
بالدّم |
٥١٩ |
فقلت له بؤ |
بالدّم |
٦٦٥ |
كُليبٌ لعمري |
بالدم |
٣٩٥٩ |
ورصعاء حرانيةٍ |
والدمِ |
٢٥١٦ |
أقول لهم |
زَهْدَمِ |
٢٨٦٠ ، ٧٣٥٧ |
ريّا العظامِ |
المؤدم |
٣٧٩٤ |
الأن لما ابيضَّ |
جِذْمِ |
٣٠٤٦ |
أَتَهْجُر غَانِيَةً |
مُنْجَذِمْ |
١٠٣٧ |
لا تملأ الدلوَ |
رَذمْ |
٢٤٨٣ |
ولكنه يمضي |
الخثارِمُ |
١٧٢٢ |
تحشُّ بأوصالٍ |
مخارم |
١٢٨٤ |
وما ضربةُ الرومي |
دارمِ |
٢٠٧٢ |
أولئك قومي |
بدارم |
٤٣٤٥ |