مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
ما هاج حسانَ |
الخيامْ |
١٣٧١ ، ٢٤٨٢ |
ويومٍ في |
صيامُ |
٣٨٦١ |
كأنَّ مجامِعَ |
فِئامِ |
٢٣٧١ |
وتطيل المرزّآتُ |
القيام |
٥٦٠٤ |
إذا زال |
لئام |
٤٨٤٨ |
حَبَوْتُ به |
اللئام |
٣٦٣٧ |
فقلت من |
نيامُ |
٣٩٥٠ |
ولست بأطلس |
النيامُ |
١٢٧٥ |
ومِنْ أرحبِ |
ويامِ |
٢٤٤٧ |
بين الأراكِ |
شَبُم |
٣٠٣٥ |
ما زِلْتَ تَنقُلُي .... |
أَتمُ |
١٦٩ |
فمن ذا |
حاتمُ |
٥٤٢٣ |
فمن ذا يفاخرنا |
وحاتمُ |
٢٩٠٠ |
ولست بهيَّابٍ |
وحاتِمُ |
١٧٢٢ |
ولقد غدوت |
وحاتمْ |
١٣٣١ ، ٧٢٤٩ |
رمته أناة ... |
مَأُتَمِ |
١٦٦ ، ٣٣٤ |
هل ينفعنكَ |
الرتمْ |
٢٤٠٢ |
لا تَحسَبَنَّ طِعَانَ |
الثُّرْتُمِ |
٨٣٤ |
إن شر |
شَتَمْ |
٥٨٤٢ |
ومنتظري صَتماً |
الصَّتْمِ |
٣٦٦٩ |
ثم ينوشُ |
كتمِ |
٦٨١٠ |
رحيبُ الدِّراع |
البلْتم |
٦١٩ |
إذا الليلُ أدجى |
جواثمُ |
٢٠٣٨ ، ٥١٤٢ |
بها العينُ |
مجثم |
١٨٧٩ ، ٤١٣٧ |
وكأنما التفتت |
أرثم |
٢٤١٣ |
أتاك أبو ليلى |
عثمثم |
١٢١٩ ، ٤٣٧٢ |
خَطَّارةٌ غبَّ |
مِيثَمِ |
٢٩٦ ، ٧٠٦٢ ، ٧٢٠٨ |
حُيِّيْتَ من |
الهيثمِ |
٥٦٧٩ |