مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
ووادعة الأبطال ... |
حسامِ |
٧١٠٩ |
ومن لم يزلْ |
يُسْأَمِ |
١٥٩٠ |
أتذكر يوم تصقل |
البشام |
٥٣٢ ، ٤٤٦٨ |
وكم جاوزتْ |
خُشَامِ |
١٨٠٦ |
فإني لا أطيق |
يا عصام |
٧١٣٠ |
ولا تُهدي الأمرَّ |
العظامِ |
٦١٨٣ |
وأحمد اسمه |
بعامِ |
٥٤٢٢ |
أقلُّ لعمري |
طعامِ |
٤١١٥ |
دُفُعْن إليّ |
النَّعَامِ |
٤١٥٩ |
في شَنَاظِيْ |
النَّعَامْ |
٣٨٥٠ ، ٤٢٧٩ |
لعمْرُكَ إِنَّ .... |
النَّعَامِ |
١٢٣ ، ٢٧١٦ |
هم تركوكَ |
نعامِ |
١٣١٨ |
وصاحبها غضيضُ |
بُغام |
٤٠١٦ |
وقد تجاوزتُ |
البُغام |
٥٧٥٧ |
سباريت إلا أنْ |
وثغامِ |
٣٢٢٠ |
عقار تظلُّ |
مُفْأم |
٤٦٥٨ |
يكتبين الينجوجَ |
السَّقام |
٥٧٥٠ |
شَتَّ شعبُ |
المقامْ |
٤٧٨ ، ٣٣٤٣ ، ٣٤٨٦ |
ملأَتْ به الفرجين |
مقامِ |
٣٦٣٩ |
ألمْ ترني |
ومقام |
٢٤٠٣ |
حتى إذا ما |
والإكامِ |
٢٠٣٧ |
وتظهرُ رايةُ |
لامِ |
٦٦١٦ |
إني إذا ما القوم |
بالأحلام |
٦٥٠٠ |
تداعين باسم |
سلام |
٥٣٩ ، ٣٥٩٧ |
قالت لنا |
السَّلامُ |
٧٩٥ |
منطوٍ في |
السلامْ |
١٢٥١ |
لو كنت بَوَّاباً |
بسلامِ |
٨٧١ ، ٦٩٨١ |
أقرّ حشا |
الظلام |
٣٦٥٧ |