مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
ونَعْدِل ذا |
بالمسمع |
٣١٩٣ |
بكين فأبكينا |
نشمع |
٣٥٣٩ |
فلبثن حيناً |
يشمع |
٣٥٤٦ |
وكائن تَرَكْنا |
أصمعُ |
٣٨٢٨ |
مزمى فأنْفَذَ |
مُتَصَمِّعُ |
٣٨٢٩ |
وماتني أيدٍ |
تَطمعُ |
٣٩١٨ |
حسن اللون |
قمع |
٥٦٣١ |
ألم تر |
تَقَمَّعُ |
٥٦٣٥ |
وجئنا بها |
تلمع |
٣٣٣٣ |
وسفعٍ صُلينَ |
مُلَمَّع |
٢٨٠٧ |
ولا يزال خَربٌ |
يلمعُ |
٤٩٥ ، ١٧٥٣ |
لعمرك ما تدري |
صانعُ |
٤٠٩٧ |
بلينا وما تبلى |
المصانعُ |
٣٨٣٣ |
وعاقدت ليلى |
مقانع |
٥٦٣٩ |
وتُسْقى إذا |
كانع |
٥٩٠٨ |
عفا ذو حُساً |
الدَّوَانِعُ |
٢٣٤ |
كأن مجرَّ |
الصوانع |
٦٧٦٢ |
متحاميين المجد |
أشنع |
٣٥٥٢ |
إن الصنيعةَ |
المصنع |
٣٨٣٥ |
على مثلها |
المتنعنع |
٦٤٥٣ |
أظِلُّ بيتي |
ذا الفَنَعِ |
٥٢٦٣ |
والنفس راغبة |
تقنع |
٢١٨ ، ٥٦٥٠ |
فإني بحمد |
أَتَقَنَّعُ |
٩٠٣ |
فجئنا إلى موج |
ومقنع |
١٣١٤ |
فعدّ طلابها وتعزَّ |
تبوع |
٦٦٤ |
مشى فيها |
الضُّبُوع |
٢٢٥٤ |
سيتركها إن |
رتوعُ |
٥٩٦٩ |
أمن ريحانة |
هجوع |
٣٢٠١ |